निर्धारित सुविधा शुल्क पर पुलिस ने जारी की अवैध व्यापार की अपराधियों को समय सारणी जिला मुख्यालय के सटे थानों में पुलिस अधीक्षक के अधीनस्थ लाये सट्टा जुआ शराब लकड़ी कटान व खनन आदि व्यापार के अपराधियों की बाढ़


सीतापुर जनपद की कानून व्यवस्था की चुस्त दुरुस्त करने व अपराध को रोकने के लिए तथा  अपराधियों को उनकी सही जगह जेल भेजने के लिए  जहाँ जनपद में   पिछले पुलिस अधीक्षको ने   रात दिन कड़ी मेहनत व    हर सम्भव प्रयास करके  जहाँ  जनपद में शांति व्यवस्था  स्थापित किया वही  पुलिस के  किये गए प्रयासों का असर जनपद   में असर भी दिखा  जिससे   भारी मात्रा में अपराधियों ने या तो अपराध छोड़ कर दिया तो या फिर  अपराधियों ने  जनपद छोड़ने के निर्णय ले लिए पुलिस अधीक्षको के   किये प्रयासो  से जहां जनपद में शांति व्यवस्था स्थापित हुई वही   जनपदवासियों ने खूब सराहना  की   पिछले पुलिस अधीक्षको के द्वारा किये गए प्रयासों को और भी ज्यादा चुस्त दुरुस्त करने के लिए मौजूद पुलिस अधीक्षक आर पी सिंह पर जनपद वासियो को और भी ज्यादा उम्मीद जगी   और प्रारम्भ  में  दिखा भी नये  पुलिस अधीक्षक के    आते ही सबसे पहले  जनपद में  शांति व्यवस्था  और भी बेहतर स्थापित करने के लिए पुलिस अधीक्षक ने सबसे  पहले पुलिस विभाग में थाना प्रभारी  लेकर सिपाही  तक के कार्य  क्षेत्र भारी सँख्या में फेरबदल किया जिससे कानून व्यवस्था और भी ज्यादा चुस्त दुरुस्त हो सके व जनपद वासियो को सुरक्षा व न्याय मिलने के साथ साथ  शांति व्यवस्था स्थापित रहे और  हर पीड़ित को  न्याय मिल जिससे  अपराध पर नियंत्रण हो सके सके  पुलिस अधीक्षक आर पी सिंह  के हर प्रयास के  बाद भी उनके अधीनस्थ पुलिस कर्मियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है परिणाम यह है कि पुलिस अधीक्षक के जारी आदेशो को दर किनार कर अधीनस्थ अपराधियों से साथ गांठ कर निर्धारित  सुविधा शुल्क  पर अपराधियों से हाथ मिला कर अपराधियों की दिनाचर्य की अपराध  समय सारणी जारी  कर दी जोकि  निम्न है सुबह के 4 बजे से 9 बजे तक बालू व्यापार  सुबह 9  बजे से दोपहर के 12 बजे  तक सट्टा व क्रिकेट व्यापार  जोकि दिन में कई बार खेला जा रहा  है   12 बजे  से शाम  4  बजे तक जुआ जोकि 100 रुपये  से लेकर लाखो रुपये के जनपद के हर थाना क्षेत्र में 8 से 10 जुए के फड़ लग रहे है  शाम  4 बजे से 8 बजे तक कच्ची अवैध शराब  व्यापार जोकि भट्ठियां पूरे दिन धधकती है  जिससे प्रतिदिन किसी न किसी की 
गरीब मृत्यु होती हो रहती है और जैसे ही रात का समय प्रारम्भ होता है आमदनी की गति दो गुनी गति लेती है  रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक अवैध खनन व  बिना परमिशन की लकड़ी कटान  आदि गैर कानूनी कारोबार होने प्रारम्भ होते है  जोकि पुलिस की   मोटी कमाई का जरिया बना  है इन व्यापारों के   परिणामों को ध्यान न पुलिस के  संरक्षण  और पैसे की चमचमी में आज युवाओं को भी इन  व्यापार में उतर  रहे है  जिसकी पूरी भूमिका व सहयोग  ऊपरी कमाई के चक्कर मे थाना व चौकी  पुलिस निभा रही है सूत्रों से प्राप्त जनकारी के अनुसार जिला मुख्यालय के सटे थाना कोतवाली रामकोट इमलिया सुल्तानपुर खैराबाद महोली आदि थानों में थाना प्रभारी व   चौकी प्रभारी  द्वारा एक विभागीय व गैर विभागीय कर्मचारी य व्यक्ति अलग से  इस कार्य मे सुविधा शुल्क  निर्धारित करने के लिए नियुक्ति है जो कि पूरे गैर कानूनी व्यापार में लेनदेन करने में  अपराधी व पुलिस के बीच की कड़ी बन कर खड़े है और   इन्ही कड़ियों से थाना क्षेत्र की बड़ी आमदनी के जरिया बन रहे है प्राप्त अनुसार जनपद जनपद के  थाना  क्षेत्रों में  अपराधो को थाना प्रभारी व चौकी प्रभारी  के संज्ञान में होने  बाद भी  इन  क्षेत्रों लगे सेटिंग साहब विपक्षी से मिल कर प्रकरण को सुलहनामा  करा कर 151 य 107/16 से निपटा देते है यह फिर विपक्षी द्वारा शिकायत पत्र व सुविधा शुल्क लेकर पीड़ित की आवाज दबाने के लिए क्रॉस केस दर्ज करा देते है जिसका उदाहरण थानों में दर्ज पंजिकृत एफआइआर रजिस्टर दे रहे  जिनका परिणाम बाद में हत्या या हत्या के प्रयास जैसे बड़े प्रकरण बनकर सामने आ रहे है इन्ही प्रकरणों में कई प्रकरण महिलाओं से जुड़े रहते है  जनपद में पुलिस अधीक्षक के अधीनस्थ ही   मोटी कमाई व अपराधियों के सरंक्षण  की कार्यशैली आज जहाँ कनून व्यवस्था पर हजारो सावल खड़े कर रही है वही कानून व्यवस्था में सेटिंग साहब की मनमानी व मोटी कमाई के कारण  लोगो का  विस्वास थानों से खत्म होता नजर आ रहा  है जिसका परिणाम यह है आज थानों से ज्यादा शिकायत पत्र पुलिस अधीक्षक के कार्यालय मुख्यमंत्री ऑनलाइन उच्च अधिकारियों  के साथ साथ  समाधान दिवस पर जा रहे है लेकिन जाँच के नाम पर पुनः पीड़ित  को वापस थानों में भेजा जा यह है जहाँ न चाह कर भी पीड़ित को  विवश होकर  थानों में जाकर  सेटिंग साहब से ही मिलना  पड़ता है और इस बार सेटिंग साहब की  मांग चार गुना हो जाती है क्योंकि सेटिंग साहब कहते है प्रकरण कप्तान साहब व उच्च अधिकारियों  के संज्ञान में हो गया है अब तो ऊपर तक ध्यान देना होगा नही तो लगाते  रहो अधिकारियों के चक्कर देखे कैसे होगी कार्यवाही होगी विवश पीड़ित न्याय की उम्मीद  पुनः न चाह कर भी सेटिंग साहब की बात मान कर सुविध शुल्क देना पड़ रहा है.                              *जीतेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट*