स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर पीसीओएस से करें बचाव
जरूरी है जागरूकता, बचाव एवं समय पर उपचार
सीतापुर, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पी०सी०ओ०एस०) महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। जिसमें ओवरी में सिस्ट यानी गांठ आ जाती है। हार्मोंस में गड़बड़ी इस बीमारी का मुख्य कारण हैं। कई बार यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है इसके अलावा खराब जीवन शैली, व्यायाम की कमी, खान-पान की गलत आदतें भी इसका बहुत बड़ा कारण है। महिला रोग विशेषज्ञों के अनुसार पीसोओएस की समस्या पिछले 10-15 सालों में दोगुनी हुई है।
नेशनल होम्यो काउन्सिल के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक सदस्य डा. अनुरूद्व वर्मा बताते हैं किशोरियों में अनियमित पीरियड्स की समस्या आम हो गई है। यही समस्या आगे चलकर पीसीओएस का रूप ले सकती है। पीसीओएस अंतः स्रावी ग्रंथि से जुड़ी ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के शरीर में एंड्रोजेन्स या पुरुष हार्मोन अधिक होने लगते हैं। ऐसे में बॉडी का हार्मोनल संतुलन गड़बड़ हो जाता है जिसका असर अंडे के विकास पर पड़ता है इससे ओवुलेशन और मासिक चक्र रुक सकता है। इस तरह से सेक्स हार्मोन में असंतुलन पैदा होने से पीरियड्स पर असर पड़ता है। इस अवस्था के कारण ओवरी में सिस्ट बन जाती है। इस समस्या के लगातार बने रहने से ओवरी के साथ फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है। यह स्थिति सचमुच में खतरनाक होती है। इससे महिला को गर्भधारण में समस्या होती हैं।
पीसीओएस के लक्षण :--
चेहरे पर बाल उगना, यौन इच्छा में कमी, वजन बढ़ना, पीरियड्स का अनियमित होना, गर्भाधान में मुश्किल आना पीसीओएस के लक्षण हैं। इसके अलावा त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे अचानक भूरे रंग के धब्बों का उभरना या बहुत ज्यादा मुंहासे भी हो सकते हैं।
क्या हैं पीसीओएस के
कारण :-
पीसीओएस के प्रमुख कारणों में अनियमित दैनिक जीवन शैली, तनाव और चिंता, खान-पान पर ध्यान न देना, देर तक जागना, जंक फूड, शारीरिक मेहनत की कमी, मोटापा, आलसी जीवन, मोटापा प्रमुख कारण हैं ।
कैसे बचें पी०सी०ओ०एस० से:
ऐसे बचें पीसीओएस से :-
-जंक फूड ,अत्याधिक तैलीय, मीठा व फैट युक्त भोजन खाने से बचें।
-भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल करें।
पीसीओएस का उपचार :-
डा. अनुरुद्ध के अनुसार हार्मोनल असंतुलन को दूर पीसीओएस की समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की जरूरत है। होम्योपैथी पद्धति में इसका उपचार सम्भव है। होम्योपैथी में रोगी के आचार, विचार, शारीरिक वनावट, मानसिक लक्षण को ध्यान में रख कर औषधि का चयन किया जाता है। होम्योपैथिक औषधियाँ बिना हॉर्मोन दिए शरीर में हार्मोनल असंतुलन को दूर कर देती है जिससे इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है।