सीतापुर ।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौंच मुक्त करने के लिए अरबों रुपए केंद्र व प्रदेश सरकार ने शौंचलय बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में धनराशि निर्गत की थी परन्तु इस धनराशि का बंदरबांट कर जनता का प्रतिनिधि कहे जाने वाले ग्राम प्रधान व सरकार के अधीनस्थ अधिकारियों ने इस योजना पर ग्रहण लगाकर संपूर्ण जिले भर में जमकर सरकार द्वारा आई धनराशि का बंदरबांट किया ।
जनपद सीतापुर बहुत पहले ही पूर्ण रूप से ओडीएफ घोषित हो चुका है तत्कालीन जिलाधिकारी ने बाकायदा पुरस्कार पाकर अपनी पीठ भी थपथपाई थी परंतु असल में स्थित ठीक इसके विपरीत है, पूरे जनपद में शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां पर सुबह और देर शाम लोटा लेकर ग्रामीण महिलाएं, बच्चे और पुरुष खेतों की ओर झाड़ियों में बैठे दिखाई देते हैं
इसी तरह की एक बानगी विकास खंड परसेंडी के ग्राम पंचायत जरेली का है जहां पर कहने को तो 700 से ऊपर शौचालय बनाए गए हैं लेकिन धरातल पर या तो वह हैं ही नहीं या फिर आधे अधूरे बने हैं जिनका प्रयोग करना ग्राम वासियों के लिए एक बार सोचने पर मजबूर करता है । यहां के ग्राम प्रधान आबिद अली व ग्राम पंचायत अधिकारी अखिलेश यादव दोनों ने जमकर सरकारी धनराशि का बंदरबांट किया है जिससे भारत सरकार की सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय योजना जमीन पर दिखाई नहीं दे रही है ।
सूत्रों के अनुसार माखपुर, कहिमारा, कैलाश पुरवा, चिलमा, हुसैनपुर, जरेली पुरवा सहित 8 मजरों से बनी ग्राम पंचायत ज़ारेली विकास खंड परसेंडी जहां पर मौजूदा समय में आबिद अली ग्राम प्रधान हैं तथा अखिलेश यादव सेक्रेट्री तैनात हैं ।आबादी के हिसाब से यहां पर काफी गरीब लोग निवास करते हैं कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनके घर पर शायद रोटी पकती है तो शाम की चिंता लगी रहती है वहीं सरकार के द्वारा यहां के निवासियों के नाम पर 700 से ज्यादा शौचालय आए लेकिन आबिद अली प्रधान व सेक्रेट्री की जोड़ी ने बंदरबांट कर लिया जिसमें कुछ तो कागजों पर बने हैं जो बने हैं वह भी आधे अधूरे किसी का गड्ढा नहीं बना तो कहीं दरवाजा नहीं और कहीं सीट ही नहीं तो कहीं पाइप नहीं लगे हैं ऐसे में इनका प्रयोग कैसे किया जाएगा ये सोचने वाली बात है । ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान के द्वारा आवास के नाम पर भी जमकर वसूली की गई है । जिन लोगों ने आवास के नाम पर ₹20000 दे दिए उनके आवास का पैसा मिल गया लेकिन जो पात्र होने बावजूद भी पैसा देने में असमर्थ थे उनको आवास का लाभ नहीं दिया गया।
अब चिंतनीय विषय है कि आखिर इन भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करेगा कौन ? जिला स्तर के अधिकारी बिना सत्यापन के फर्जी तरीके से ओडीएफ जिला घोषित करके अपनी पीठ थपथपा चुके हैं। कुछ भी हो अगर ग्राम पंचायत जरेली की प्रशासन स्तर से अगर जांच की जाए तो भ्रष्टाचार की जड़े उखड़ती हुई नजर आएंगी ।