बिसवां, सीतापुर ।
अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान की पाँचवी दूरभाष ई गोष्ठी सुबोध सुलभ की अध्यक्षता और कवयित्री रेनू द्विवेदी के संयोजन एवं संचालन में सम्पन्न हुई!
गोष्ठी का शुभारम्भ रेनू द्विवेदी की वाणी वंदना से हुआ।
माँ कठिन तप योग कर के ,
कर रही हूँ साधना !
आज तुम स्वीकार कर लो,
अम्बे मेरी प्रार्थना!
दिनेश सोनी ने अपनी रचना प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
श्री श्रृंगार करे मन मुदित हंस आसीन
श्वेताम्बर सुहासिन अम्बे
लखनऊ के वरिष्ठ कवि एवं राष्ट्रीय प्रस्तावना के सम्पादक संजीव श्रीवास्तव ने रचना सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कानपुर से वरिष्ठ कवि एवं नगर संवाद के सम्पादक मनिंदर सिंह ने रचना सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया,कोरोना ने हिला दी सरकार रसिया, जोरदार रसिया
रेनू दिवेदी ने रचना प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।
जिसपर गर्वित सारी दुनिया,
संस्कृति वही पुरानी हूँ!
सत्य अहिंसामय जीवन है,
बेटी हिंदुस्तानी हूँ!
अनागत के संस्थापक डॉ अजय प्रसून ने रचना सुनाकर सबको मन्त्र मुग्ध कर दिया।
सत्य है बात ये सर्वथा,आज अन्तस को मैंने मथा!कोई माने न माने मगर,
मेरे जीवन की तुम हो कथा!
अध्यक्षीय काव्यपाठ सुबोध सुलभ ने कर के सबको भाव विभोर कर दिया।
कविरा के घर में जन्मी ,तुलसी ने तुमको पाला
सूरा की लाडली को मीरा ने है सम्हाला
दिनकर के ओज स्वर को मैं छंद कर रहा हूँ
तेरे रुप की खुशी को मैं पसंद कर रहा हूँ, कविता तुम्हारे दिल से अनुवंध कर रहा हूँ.
गोष्ठी के अंत में "अनागत साहित्य संस्थान" के संस्थापक आदरणीय डॉ अजय प्रसून ने सभी का आभार व्यक्त किया ।