ईएमटी व चालक संकट के दौर में एंबुलेंस सेवा के लिये साबित हो रहे योद्धा

सीतापुर । परिवार से दूर होने, बच्चों से मुलाकात न कर पाने की टीस दिल में जरूर है,  लेकिन संकट के इस दौर में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने और उनकी सेवा  में जो सुख मिलता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। इन दिनों जबकि लॉक डाउन चल रहा है, सार्वजनिक और निजी वाहनों का चलना प्रतिबंधित है। ऐसे में हर किसी को एंबुलेंस सेवा पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। ऐसे में कोई ह्रदय रोगी हो या फिर प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती अथवा किसी दुर्घटना में घायल हुआ कोई व्यक्ति , हर किसी को एंबुलेंस चाहिए। 
एंबुलेंस सेवा के जिला प्रभारी अंकित शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में जिले में करीब 100  एंबुलेंस हैं।  इनमें से चार एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) सिस्टम से लैस हैं। इसके अलावा 47 एंबुलेंस 108 की और 46 एंबुलेंस 102 की हैं। इसके अलावा इन एंबुलेंस पर 380 चालक और ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) कार्यरत हैं। कोई भी इमरजेंसी हो ह्रदय रोगी, प्रसव, अथवा दुर्घटना की स्थिति हो यह सदैव ही रोगियों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध हैं। इनका संचालन जीवीके ईएमआरआई संस्था द्वारा किया जा रहा है। इस सेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में भी एंबुलेंस चालक और ईएमटी सहित अन्य सभी लोग खुद से से एक योद्धा के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। 
एंबुलेंस चालक संतोष प्रजापति कहते हैं कि संकट के इस दौर में राष्ट्रहित सर्वोपरि है। ऐसे दौर में ड्यूटी पर न जाना बेहद शर्म की बात है। आज देश को मेरी जरूरत है, मैं सहर्ष अपना काम कर रहा हूं। एंबुलेंस चालक वैभव शुक्ला का कहना है कि एक फौजी जिस तरह से देश की सीमा की सुरक्षा करता है, उसी तरह मैं भी लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए रात-दिन एक करने को तैयार हूं। ईएमटी मुकेश सिंह का कहना है कि मरीजों की सेवा करके जिस सुख और आनंद की प्राप्ति होती है, उसका कोई मोल नहीं है। संकट के इस दौर में लोगों की सेवा करते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है। ईएमटी सचिन कुमार का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का डर तो मन में हैं। लेकिन हमें अपनी सुरक्षा करने के लिए पीपीई किट समेत अन्य सभी संसाधन उपलब्ध कराए गये हैं। किसी भी परेशानी में स्वास्थ्य विभाग का भी पूरा सहयोग हम लोगों को मिलता है।